खिडकीसे मेरी आसमान का एक टुकडा दिखता है
ढक लेता है कभी खुद को काले सफ़ेद बादलोंसे
और मुस्कुराता है कभी कभी, खुल के।
अक्सर छोड़ जाता है वो अपनी छबी मेरी आखोंमे...
जब माँ कहती है की आज तेरी आँखे कुछ अलगसी लग रही है
तो मै एक नजर देखता हूँ उसकी ओर।
आज छुपा ली है मैंने अपनी आँखे ऐनक के पिछे
न जाने आज कबतक बरसेगा ये आसमान!
Wednesday, June 10, 2009
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1 comment:
hey tujhaa photo chhan aahe ha!! aani manogat madhye chhan lihilays!!
mugdha
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